Sunday, December 12, 2010

भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा भारत

कहने को तो देश में भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की हर स्तर पर कोशिश की जा रही है, लेकिन ये प्रयास महज भाषणों और कागजी कार्रवाई तक ही सीमित है। भ्रष्टाचार के चलते देश की लगभग 462 अरब डालर की राशि स्विस बैंकों में जमा है।
 इस बढ़ते भ्रष्टाचार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश के गरीबों को बुनियादी सुविधाएं देने के नाम हमारे मंत्री, नेता, प्रशासनिक अमला और समाज सेवी मिलकर हर साल उनसे करीब 900 करोड़ रुपए की रिश्वत हथिया लेते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह रिश्वत की कमाई सीधे स्विस बैंकों में चली जाती है। विभिन्न देशों में व्याप्त भ्रष्टाचार का अध्ययन करने वाले अंतराष्ट्रीय संगठन ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भारत में कार्यकारी निदेशक अनुपमा झा का इस बारे में कहना है कि देश में भ्रष्टाचार ऊपरी स्तर से निचले स्तर की ओर फैल रहा है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि भारत में भ्रष्टाचार एक कारोबार की तरह चल रहा है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की भ्रष्ट देशों की हालिया सूची में भारत को 87वें स्थान पर रखा गया है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि का अध्ययन करने वाले एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफाम्स से जुड़े़ आईआईएम के पूर्व प्रोफेसर जगदीप छोकर का भी यही मानना है कि भ्रष्टाचार की समस्या का प्रमुख कारण राजनीतिक दलों की कमजोर इच्छाशक्ति है। उनका कहना है कि हर चुनाव में दागी और भ्रष्ट नेताओं को टिकट देने में राजनीतिक दल जरा भी परहेज नहीं करते हैं। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी चुनाव से पूर्व जनता से यह वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के सौ दिनों के भीतर स्विस बैंकों में जमा देश का काला धन देश में वापस लाया जाएगा, लेकिन सत्ता हाथ में आते ही वह अपने इस वादे की ओर सोच भी नहीं रहे है।
अगर देश में अब तक हुए बड़े घोटालों की ओर नजर डाली जाए तो यही तथ्य सामने आते हैं कि या तो उन पर सही कार्रवाई नहीं हुई और यदि हुई है तो उन पर सालों से केस चलते आ रहे हैं। हमरी इसी लचर कानूनी कार्रवाई के चलते भ्रष्टाचारी मौज से अपना जीवन जी रहे हैं और नए घोटाले की योजना बना रहे हैं।
1-  बोफोर्स घोटाला - 1986 में हुए बोफोर्स घोटाले में करीब 1800 करोड़ रुपए की हेराफेरी सामने आई थी। यह घोटाला राजीव गांधी की सरकार के समय में हुआ था। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई अब तक सिर्फ इस घोटाले मुख्य आरोपी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस ही जारी करवा सकी है। जबकि लगभ 25 साल गुजर जाने की बाद भी केस चल रहा है।
2-  हवाला कांड - 1991 में कश्मीर में कुछ हवाला दलालों की गिरफ्तारी से हवाला कांड का खुलासा हुआ। कई राजनीतिक हस्तियों का जुड़ोव इस कांड में पाया गया। करीब 80 करोड़ रुपए के इस घोटाले घोटाले में कई बड़े नेताओं के नाम सामने आए। इनमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडेह्लाणी, विद्याचरण शुक्ल, मदन लाल खुराना, आरजेडी के शरद यादव और कांग्रेस के बलराम जाखड़ जैसे दिग्गज नेताओं का नाम उछला। इस मामले की भी जांच कर रही सीबीआई अब तक किसी भी आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं जुटा सकी।
3-  चारा घोटाला- 1996 में इस घोटाले का खुलासा हुआ था। करीब 950 करोड़ रुपए का चारा राजद सुप्रीमों लालू यादव खा गए और उन्हें डकार तक नहीं आई। इसमें 2000-2007 तक 58 पूर्व अधिकारी व सप्लायर्स दोषी पाए गए। लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र को भी कई बार रिमांड में लिया गया। 2007 में दो सौ लोगों को सजा हुई, लेकिन कोई भी बड़ा राजनीतिज्ञ दोषी साबित नहीं हुआ। और वो सफेदपोस हर चुनाव में जनता को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं। शर्म की बात यह है कि इस घोटाले में भी केस जारी है।
4-  बराक मिसाई घोटाला- तहलका के स्टिंग आपरेशन से 2001 में ये मामला सामने आया। करीब 585 करोड़ रुपए के इस घोटाले में सीबीआई ने पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिज, समता पार्टी अध्यक्ष जया जेटली और पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुशील कुमार को शामिल होने का आरोप लगाया। जार्ज फर्नांडिज ने सीबीआई के आरोप के बाद रक्षामंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि सीबीआई को इस मामले में कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
5- 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला- यह घोटाला अब तक हुए घोटालों में सबसे बड़ा है। हालिया जानकारी के अनुसार पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा ने एक लाख 76 हजार करोड़ का टेलीकाम घोटाला कर सबको सकते में ला दिया। इसे लेकर उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोटाला सिर्फ एक लाख 76 हजार करोड़ का नहीं बल्कि इसका दायरा बहुत बड़ा है। इस सिलसिले में सीबीआई ने राजा सहित कुछ अन्य अधिकारियों व उनके रिश्तेदारों के घर पर छोपेमारी की और उसे कुछ आपत्तिजनक सबूत भी हाथ लगे हैं। इसके बाद भी राजा अपने आपको बेगुनाह बता रहे हैं। इसी विवाद को लेकर पूरा का पूरा शीत सत्र भी जेपीसी की भेंट चढ़ गया। इतना सब हो जाने के बाद भी इसका अभी कोई हल नहीं निकला और अगर ऐसी लचर कानून व्यवस्था रही तो शायद इस मामले का भी कोई हल नहीं निकल सकेगा और अन्य भ्रष्टाचारियों की तरह राजा भी अगले चुनाव में आम जनता को ईमानदारी का पाठ पढ़ाते नजर आएंगे।

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