Sunday, November 28, 2010

माता हुई कुमाता

मैने कई समाचारों में देखा और पढ़ा कि ज्ञान देने वाले गुरु ने अपनी शिष्या के साथ गलत संबंध कायम किए, या कोई महिला टीचर ने अपने ही शिष्य के साथ नाजायज संबंध रखे। यहां तक कि हमारी रक्षा करने वाली खाखी भी कई बार दागदार हो चुकी है, लेकिन जब कोई मां अपनी ही कोख से जन्मी बेटी को बहशियों के हवाले कर दे और उसी के सामने उसकी बेटी की आबरू लूटी जाए तो फिर इससे बड़ा कुक्रत्य क्या होगा। सही मायने में देखा जाए तो एक कलयुगी मां भी ऐसा करने से पहले दस बार सोचेगी।
यह घटना आनर किलिंग से संबंधित है। एक मां ने अपनी ही बेटी को महज इतनी गलती के लिए इतनी खौफनाक सचा दी कि उसने अंतर्जातीय विवाह करने की हिमाकत की थी। ये घटना रुडक़ी की है। लक्सर क्षेत्र के गांव केहड़ा में रहने वाले इंद्रेश की आंखे अपनी ही हम उम्र रितु से चार हो गईं। प्रेम का यह सिलसिला पिछले दो वर्षों से चला आ रहा था। दोनों एक दूसरे से जीने-मरने की कसमें खा चुके थे, लेकिन वे शायद यह भूल रहे थे कि उनके इस प्रेम संबंध के बीच उनका परिवार आ जाएगा। क्योंकि इंद्रेश गुज्जर बिरादरी से था और रितु हरिजन समाज से थी। इसलिए उसके परिजनों को यह रिश्ता मंजूर न हुआ और उन पर एक दूसर से न मिलने की पाबंदी लगा दी गई। एक दूसर के साथ जीने मरने की कसमें खा चुके इंद्रेश-रितु का प्रेम ज्यादा दिन कैद में नहीं रह सका और एक दिन मौका पाकर वह प्रेमी युगल फुर्र हो गया। उन्होंने बुलंदशहर जाकर कोर्ट मैरिज की और गाजियाबाद में रहकर नए जीवन की शुरूआत कर दी। वहीं दूसरी ओर गांव में समाज के ठेकेदारों ने पंचायत बुलाकर इंद्रेश की इस हिमाकत पर उसके परिवार को गांव बदर कर दिया और उनकी सारी संपत्ति पर कब्जा जमा लिया। पांच दिन पूर्व 23 नवंबर को इंद्रेश और रितु मोटरसाइकल से लक्सर कोर्ट में पेशी के लिए जा रहे थे। इस बात की भनक रितु के परिजनों को लग गई। उन्होंने घात लगाकर सरेराह दोनों को अगवा कर लिया। इंद्रेश को रितु ने किसी तरह अपने परिजनों के चंगुल से छुड़ाकर पुलिस को बुलाने भेज दिया, लेकिन बदकिस्मती ने उसका साथ न छोड़ा और रितु झूठी शान के लिए अपने ही परिजनों द्वारा गला घोंट कर मार दी गई।
आनर किलिंग के इस सारे घृणित घटनक्रम का सूत्रधार बनी रितु की मां मोहरकली। उसने अपने लडक़े, देवर व अन्य लोगों के साथ मिलकर दोनों के अपहरण के बाद हत्या की साजिश रची। रितु की मां की मौजूदगी में ही पहले उन दरिंदों ने सारे नाते-रिश्तों को ताक पर रख कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद उसकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर शव को उत्तराखंड-यूपी की सीमा से सटे एक खेत में फेंक कर चले गए। रितु की हत्या से पहले उसके बलात्कार की पुष्टि उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुई।
इतना सब होने के बाद भी इस कलयुगी मां (मोहरकली) का जमीर नहीं जागा और वह बार-बार हत्या के इस मामले से अपने आपको अलग बताती रही।
‘पूत कपूत सुना है, लेकिन माता नहीं सुनी कुमाता’ यह पंक्ति हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं। हमारे देश में मां को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है। यदि हमारे देश में ऐसी कलयुगी मांओं का जन्म होने लगा और उन्हें उचित दंड नहीं मिला तो आने वाले समय में मां-बाप, बेटा-बेटी और भाई-बहन जैसे रिश्तो की पेवित्रता खत्म हो जाएगी। मेरी राय में ऐसी स्त्री को न्यायालय से ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि आने वाले समय में कोई स्त्री जब ऐसा कुकर्म करने की सोचे तो वह उसे मिलने वाली सजा से कांप उठे और अपने कदम पीछे ले ले।

4 comments:

  1. भाई अच्छा लिखा है... लेकिन झुठी शान के लिए हत्या करने को तो समाज जायज ठहराता है लेकिन रिश्ते को इतना कलंकित नहीं किया जा सकता है...कि आने वाले लोग हत्या से भी आगे जाने के बारे में सोचने लगी...

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  2. भाई अच्छा लिखा है... लेकिन झुठी शान के लिए हत्या करने को तो समाज जायज ठहराता है लेकिन रिश्ते को इतना कलंकित नहीं किया जा सकता है...कि आने वाले लोग हत्या से भी आगे जाने के बारे में सोचने लगी...

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  3. poori hakeekat aapko yo hi sacchai se robaroo karata rahega

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  4. मां का जो रिश्ता होता है वो सबसे पवित्र होता है लेकिन आप के द्वारा लिखा गया कि मां कुमाता भी हो सकती है विश्वास नहीं होता।

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