Wednesday, December 1, 2010

मेरा वो पहला अहसास


मैं गांव में पला बढ़ा १२वीं कक्षा तक पढ़ाई भी ग्रामीण परिवेश में की। १२वीं के बाद मेरे साथ के ज्यादातर दोस्त इलाहाबाद जाने की बाद कर रहे थे। मेर बड़े भाई भी उस समय इलाहाबाद में ही पढ़ रहे थे। सने २००१ में १२वीं की परीक्षा देने के बाद मैं भी इलाहाबाद गया और इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लगा। आखिरकार मैंने परीक्षा दी और बेहतर नंबरों से पास हुआ। फिर काउंसलिंग का टेंशन। अपने सभी सीनियरों से राय लेता था कि कौन से विषय लूं, किस विषय का करियर बेहतर होगा। आखिर सुझव लेते-लेते एडमीशन प्रक्रिया भी पूरी हो गई। मैंने दारागंज में रूम लिया और कुछ दिनों बाद मेरे बड़े भाई गांव चले गए और मैं अकेले ही रहने लगा।
शाम का वक्त था, बारिश हो रही थी। मैं रूम में था। बारिश देखने के लिए मैं अपनी बालकनी पर खड़ा हो गया। लोग भीगते हुए आ-जा रहे थे। अचानक मेरी निगाह बगल के मकान पर गई। मेरा रूम दूसरी मंजिल पर होने के कारण बगल की छत साफ-साफ दिखाई दे रही थी। मेरी नजर जैसे ही उस छत पर गई वहां एक सुंदर युवती पानी में भीग रही थी। उसे देखकर मुझे अजीब सा अहसास हुआ। शायद ऐसा अहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ था। फिर क्या उस दिन के बाद से मैं हर शाम अपनी बालकनी पर होता था और उस लडक़ी को मेरी निगाहें ढूँढूती रहती थी। अचनक वह लडक़ी किताब लेकर अपनी छत पर आई और घूम-घूम कर पढऩे लगी। मैं एकटक उसी को देख रहा था। अचानक उसकी और मेंरी नजरं एक हो गई। मैं डर गया और अंदर चला गया, लेकिन वह काफी देर तक वहीं रही। थोड़ी देर बाद मैं फिर बाहर निकला और हम दोनों ने एक दूसर को देखकर ऐसा दिखाया जैसे हम किसी और का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद से हमारा यह शिलशिला रोज चलने लगा। धीर-धीर हम दोनों की बातचीत शुरू हो गई। एक दिन हम शाम को बात कर रहे थे कि मेरे गांव का एक मित्र आ गया। उसने मेरी प्रतिक्रिया जानकर मुझे समझाया कि तुम गांव के लडक़े हो और यहां कुछ बनने आए हो। इसके बाद उसने इसकी शिकायत मेर घर पर की और मुझे वह रूम छोडऩा पड़ा। उसके बाद लगभग 3 महीनों तक मैं उस गली नहीं गया। जब 3 महीने बाद गया तो पता चला कि उस लडक़ी की शादी तय हो गई है। आखिर उस लडक़ी से मरी आखरी मुलाकात 14 जुलाई 4002 को हुई। उसने भी मुझे समझाया कि अब वह किसी और की होने वाली है और वह आगे से मुझसे नहीं मिल पाएगी। उसने जाते-जाते मुझसे कसम ली कि मैं अब अपने करियर की ओर ध्यान दूंगा। और आज तक मुझे उसकी वह कसम याद है और मैं अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हूं।

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