Wednesday, April 13, 2011

दाग तो लगना ही था....

प्रसिद्ध समाजसेवी और छोटे गांधी के नाम से विख्यात अन्ना हजारे दिल्ली के जंतर मंतर में आमरण अनशन करके भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी वो वाकई काबिले तारीफ है। अन्ना की जीत सिर्फ अन्ना की जीत ही नहीं है, बल्कि ये पूरे भारत की जीत है।
इस भ्रष्टाचार बनाम भारत की लड़ाई में जो भारत की जीत हुई है। उसने सारे भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी है। या ये भी कह सकते हैं कि इस जीत ने भ्रष्टाचारी नेताओं को उस हालत में ला खड़ा किया जैसे बिना विष का सर्प फुफकार तो मार सकता है पर डश नहीं सकता। इसीलिए अब हमारे देश के ये भ्रष्टाचारी नेता अन्ना पर भी कालिख लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
समाचार पत्र पढ़ते समय जब मैने ये पढ़ा कि भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने अन्ना हजारे पर ये तोहमत मढ़ी कि अन्ना जो यह कर रहे हैं वे लोक तंत्र का अपमान है। तो वाकई मैं हंस पड़ा। मेरे जहन में यही बात आई कि हो न हो आडवाणी भारत का प्रधानमंत्री न बन पाने के कारण पगला गए हैं। फिर हों भी क्यों न ? आखिर बुढ़ापे आदमी वैसे ही सठिया जाता है। अन्ना ने आडवाणी को जो इस तोहमत का जवाब दिया वो लाजवाब था। गांधीवादी अन्ना ने अपने शब्दभेदी बांणों से जवाब देते हुए कहा कि अगर आडवाणी जैसे नेता सही रास्ते पर चलते तो उन्हें आज आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ती। मैं तो यही कहूंगा कि अब सभी भ्रष्टाचारी नेताओं को ये बात समझ आ जानी चाहिए कि ये लोग हमारे देश की भोली भाली जनता को देश राज्य और धर्म के नाम पर काफी लूट चुके। अगर अब भी ये नेता नहीं सुधरे तो जनता का ऐसा हथोड़ा चलेगा कि ये दुबारा सत्ता का मुह तक नहीं देख पाएंगे।
मैं यहां सिर्फ भाजपा और उसके नेताओ की ही बात नहीं कर रहा हूं। बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि भारत में ऐसी कोई भी पार्टी ही नहीं बची जिसके नेता और कार्य भ्रष्टाचार से मुक्त हों। अब कांग्रेस को ही ले लीजिए इतने बड़े-बड़े  घोटाले होने के बाद भी वो चुप है। प्रधानमंत्री तो ऐसे है जैसे एक मासूम बच्चा। जिसके दामन में तो एक भी दाग नहीं हैं पर वो अपने मां-बाप के आदेश के अलावा अपने विवेक से कुछ भी नहीं कर सकता है, यही हालत डा. मनमोहन सिंह की है। वे मन से तो सभी को मोह लेते हैं पर उनमें वो ऐसे सिंह नहीं जो सोनिया गांधी की गलत सलाह का विरोध कर सके। राजा ने 1.76 लाख करोड़ रुपए का 2जी घोटाला किया हुआ क्या? वे नाम के लिए तो सलाखों के पीछे हैं पर जेल में भी राज भोग रहे हैं।
एसी जेल, 5स्टार होटल जैसा खाना, टीवी, म्यूजिक, नौकर चाकर सभी सुविधाएं उन्हें जेल में मिल रहीं हैं। मैं बड़ी बात नहीं कहूंगा अगर सरकार हमारे देश के किसी भी गरीब जनता से ये पूछे कि तुम्हे राजा के जैसे सुविधाओं वाली जेल में रहना है तो मैं कहूंगा कि हर गरीब यहीं कहेगा कि उसे बिना किसी जुर्म के उस जेल में डाल दो। आपको मेरी बातों पर हंसी भी आ रही होगी पर ये सही मायने में बहुत बड़ी बात है। अगर मेरे हांथ में कानून बनाने की शक्तियां होती तो मैं सबसे पहले यही कानून बनाता कि चाहे वो कोई भी ब्यक्ति हो नेता हो राजनेता हो या आम आदमी हो। सभी को एक जैसी सजा मिलेगी। सभी को रिमांड या सजा के दौरान एक जैसी जेल और सुबिधाएं मिलेंगी। लेकिन मुझ अकेले के सोचने कुछ नहीं होने वाला क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता? हमें अन्ना हजारे जैसे देश भक्तों की जरूरत है जो एक ऐसी आंधी को लेकर आएं जिसके सामने सारी ताकते झुकने पर मजबर हो जाएं।
मैंने तो अपनी मन की बात और भड़ास दोनो अपने लेख के द्वारा निकाल दी और आपको अपने ब्लाग पूरी हकीकत के द्वारा रूबरू भी करा रहा हूं। पर मुझे आपके सुझावो का भी इंतजार है... जरूर अपने सुझावो मुझे अवगत कराएं कि ऐसे भ्रष्टाचारी नेताओं के साथ क्या किया जाना चाहिए?

1 comment:

  1. संदीप जी आप इतिहास उठा के देख लिजिए जिन महापुरुसो ने अपना बलिदान इस देश को दिया आज के लोग उन्हे ही गाली देते है तो उनमें अन्ना का नाम भी है आप का विषय यकिनन अच्छा है बधाई हो आप को

    ReplyDelete